Sunday, January 15, 2012

देश में ही नहीं विश्व भर में कुपोषण एक मानवीय शर्म है -
देश में ही नहीं विश्व भर में कुपोषण एक मानवीय शर्म है -
Its not only for India , its for world , malnutrition is humanitarian shame when we have more than 16000 cr $ only military expenditure per Year. 

विश्व का रक्षा बजट 16000 करोड़ $ हो गया है ( 2010) . विश्व के हर व्यक्ति पर $ 236 का रक्षा खर्च हो रहा है . यह GDP का 2.6% है. संयुक्त राष्ट्र संघ का बजट मात्र १इस रक्षा बजट का 1.6 % है. एक चौंका देने वाली बात पर एक कटु सत्य यह भी है की विश्व की आर्थिक निर्भरता और उद्योग - 4.4 % हिंसा और युद्ध पर आधरित हैं और फलफूल रहे हैं . शांति की नाम पर हो रहे पाखण्ड एक और सचः.. संयुक्त राष्ट्र संघ के शीर्ष 5 देश ही हथियार बाज़ार के मुख्या निर्माता और सप्लायर हैं. विश्व के विकासशील देश रोटी और बिजली की बुनियादी सुविधायों की बजाय हथियारों की अंधे होड़ में शामिल हैं . विगत 10 वर्षों में नुक्लीयर हथियारों पर 100000 करोड़ $ खर्च हुए हैं.

भारत का Rs 1,64,416 crore - विश्व में 10 स्थान और 1.83 % GDP रक्षा व्यय है तो पाकिस्तान का 2 .6% विश्व में 35 स्थान GDP सिर्फ सेना पर है .

भारत में हर रोज़ लगभग सवा आठ करोड़ लोग भूखे सोते हैं .लगभग 20 करोड़ लोग कुपोषण का शिकार हैं.

विश्व में 300करोड़ लोगों से भी अधिक केवल 2.5 $ पर्तिदिन पर जीवन निर्वाह करते हैं और गरीबी मापदंडो से नीचे हैं . ऊनिसेफ़ के अनुसार 22000 बच्चे प्रति दिन भूख और गरीबी से मरते हैं . विश्व के 260 करोड़ लोगों से भी ज्यादा लोग बुनियादी सुविधायों से वंचित हैं. विश्व के 160 करोड़ लोग आज भी अन्धकार में है बिना किसी बिजली के.

मैं पूछती हूँ विश्व के शासकों :

मेरे तन से वस्त्र खींच कर सेना तुम क्यूँ जुटा रहे हो .
मेरे मुंह का कौर छीन कर हथियार क्यूँ बना रहे हो
व्यापार के नाम पर अहिंसा की छाती पर छूरा भोंक
मानवता का ढोंग किये शांति शांति क्यूँ चिल्ला रहे हो

Friday, January 13, 2012



भ्रष्ट राजनीती के अंधियारे में ईमान और नैतिकता का प्रमाण मांगो !
आरक्षण का झुनझुना नहीं , शिक्षा और स्वालंबन की बुनियाद मांगो !
जात - धर्म पर सौदा कर रहे वे जिस मिट्टी की , अपराध की ताक़त पर ,
शहीदों के लहू से सिंची उस मिट्टी की , उनसे पूरी कीमत मांगो !


पूनम शुक्ल 


Bhrast rajneeti ke andhiyare men imaan aur naitikata ka praman maango !
aarakshan ka jhunjhuna nahin , shiksha aur swalamban ki buniyaad maango !
jaat - dharm par sauda kar rahe ve jis mitti ki , apradh ki taqat par ,

shaheedon ke lahu se sinchi us mitti ki , Unse poori Kimat maango !
                                                                   
                                                                   Poonam shukla

Wednesday, January 11, 2012

Special on Uttarpradesh Election : 

न जांत न पांत ...न ही मूर्तियों की सौगातें ....हर समाज हर तबके के विकास की हो बातें
भयमुक्त समाज ...अपराधमुक्त गलियां......हर एक को मिले रोजी रोटी का साधन


उत्तरप्रदेश में चुनावी रणनीति तैयार हो रही है. क्या होना चाहिए उत्तरप्रदेश की भाषा . अपराध और मूर्तियों से कहीं दूर , ‘हिन्दी हिंटरलैंड’ कहे जाने वाले इस राज्य में अब वक़्त है जनता को ही राजनैतिक भाषा बदलने की. कब तक जांत पांत पर जनता भेढ़ बकरी की तरह जेहाँ हांकी जाए चली जायेगी , मानी जाती रहेगी....पर सवाल है इस चुनावी नौटंकी में जनता को अब खुद अपना हक चीख कर माँगने की...चलिए यह सवाल पूछें आपने नेताओं से....जानिये कौन यह भाषा बोल रहा है....

इकोनॉमिक फ्रीडम ऑफ द स्टेट्स ऑफ इंडिया 2011 की रिपोर्ट के आधार पर आर्थिक नीतियों की दृष्टि से देश के 20 राज्यों में तमिलनाडु सबसे अधिक आर्थिक स्वतंत्रता वाला राज्य है. रिपोर्ट में गुजरात दूसरे स्थान पर और आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है, जबकि उत्तरप्रदेश को १४ वां बिहार को 20वां, उत्तराखंड को 19वां और असम को 18वां स्थान प्राप्त हुआ. 

जीडीपी में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 2000 के 9.7 प्रतिशत से घटकर 2010 में 8.1 प्रतिशत रह गई है।

मानव विकास सूचकांक के मामले में सबसे पिछड़ा राज्य बिहार (0.367) है। बिहार के तुरंत बाद असम (0.386), उत्तरप्रदेश (0.388) और मध्यप्रदेश (0.394) का नंबर है। 

भयमुक्त समाज ...अपराधमुक्त गलियां..... 
कानून व्यवस्था के मामले में भी हालात इतने अच्छे नहीं हैं. हिंसक अपराधिक वारदातों में 2007 में देश का 12.4 % ( 26693 आउट ऑफ़ , 2,15,693) उत्तरप्रदेश से था. मर्डर केस में देश का 15.5 % ( 5000 out of 32318 ) उत्तरप्रदेश की भागीधारी थी. अपहरण के मामले में देश का 16.5 % केसेस उत्तरप्रदेश के थे. जहाँ देश में 125 पुलिस जवान है हर लाख जनसँख्या पर वहीँ उत्तरप्रदेश मैं या औसत 80 है और बिहार में सिर्फ 60 . राज्य की कानून व्यवस्था ... ....विकास बढेगा जब लोग सुरक्षित होंगे

राज्य में युवाओं को रोजगार मिले.....हर एक को मिले रोजी रोटी का साधन

कब तक राज्य के लोग बाहरी राज्यों के शहरों में पलायन करते रहेंगे और हमेशा बाहरी होने का लेबल लगाये मार सहते रहेंगे...कृषि उत्पादनों को सही कीमत मिले....किसानो को उपज पर सही लाभ हो ... .विदेशों में बसे भूमिपुत्रों के लिए निवेश की विशेष सुविधा... उद्योगों के लिए विशेष सहूलियतें .

राज्य में भूमिपुत्रों के लिए रोजगार के अवसर .....उद्योगों का विकास. ..निवेश के लिए प्रोत्साहन 

न जांत न पांत ...न ही मूर्तियों की सौगातें ....हर समाज हर तबके के विकास की हो बातें

देश के अन्य राज्यों की तुलना मैं गरीबी का स्तर काफी ज्यादा है. 1973-1974 में 57.4% से घट कर 2004-2005 में 32.8 % हो तो गयी पर देश का औसत 54.9% से घट कर 27.5 % हो गया था. 2004-2005 के आंकड़ों के अनुसार उत्तरप्रदेश में 60 लाख लोग गरीबे रेखा से नीचे है जो देश का 1/5 भाग है.

साक्षरता मैं राज्य 56.3% है जबकी केरला 90.9% , गोवा 82.०% , हिमाचल प्रदेश 76.5 % और तमिलनाडु 73.5 % हैं. 35 राज्यों और केंद्र शाशित प्रदेशों में उत्तरप्रदेश का स्थान 31 है. शिक्षा मामले में 2004 के एक सर्वे के अनुसार अन्य राज्यों केरला ( 2.96 स्कूल / गाँव , 416 छात्र /गाँव) , आँध्रप्रदेश ( 1.98स्कूल/गाँव , 186छात्र /गाँव) के मुकाबले उत्तरप्रदेश में 0.97 स्कूल/गाँव और 314 छात्र/गाँव थे.

हर गाँव में शाला हो……हर बच्चे को शिक्षा मिले.....राज्य पढ़े और आगे बढे
हमारी भाषा ....राज्य के विकास की भाषा....हर समाज का विकास , सबका विकास

Poonam Shukla.