देश में ही नहीं विश्व भर में कुपोषण एक मानवीय शर्म है -
देश में ही नहीं विश्व भर में कुपोषण एक मानवीय शर्म है -Its not only for India , its for world , malnutrition is humanitarian shame when we have more than 16000 cr $ only military expenditure per Year.
विश्व का रक्षा बजट 16000 करोड़ $ हो गया है ( 2010) . विश्व के हर व्यक्ति पर $ 236 का रक्षा खर्च हो रहा है . यह GDP का 2.6% है. संयुक्त राष्ट्र संघ का बजट मात्र १इस रक्षा बजट का 1.6 % है. एक चौंका देने वाली बात पर एक कटु सत्य यह भी है की विश्व की आर्थिक निर्भरता और उद्योग - 4.4 % हिंसा और युद्ध पर आधरित हैं और फलफूल रहे हैं . शांति की नाम पर हो रहे पाखण्ड एक और सचः.. संयुक्त राष्ट्र संघ के शीर्ष 5 देश ही हथियार बाज़ार के मुख्या निर्माता और सप्लायर हैं. विश्व के विकासशील देश रोटी और बिजली की बुनियादी सुविधायों की बजाय हथियारों की अंधे होड़ में शामिल हैं . विगत 10 वर्षों में नुक्लीयर हथियारों पर 100000 करोड़ $ खर्च हुए हैं.
भारत का Rs 1,64,416 crore - विश्व में 10 स्थान और 1.83 % GDP रक्षा व्यय है तो पाकिस्तान का 2 .6% विश्व में 35 स्थान GDP सिर्फ सेना पर है .
भारत में हर रोज़ लगभग सवा आठ करोड़ लोग भूखे सोते हैं .लगभग 20 करोड़ लोग कुपोषण का शिकार हैं.
विश्व में 300करोड़ लोगों से भी अधिक केवल 2.5 $ पर्तिदिन पर जीवन निर्वाह करते हैं और गरीबी मापदंडो से नीचे हैं . ऊनिसेफ़ के अनुसार 22000 बच्चे प्रति दिन भूख और गरीबी से मरते हैं . विश्व के 260 करोड़ लोगों से भी ज्यादा लोग बुनियादी सुविधायों से वंचित हैं. विश्व के 160 करोड़ लोग आज भी अन्धकार में है बिना किसी बिजली के.
मैं पूछती हूँ विश्व के शासकों :
मेरे तन से वस्त्र खींच कर सेना तुम क्यूँ जुटा रहे हो .
मेरे मुंह का कौर छीन कर हथियार क्यूँ बना रहे हो
व्यापार के नाम पर अहिंसा की छाती पर छूरा भोंक
मानवता का ढोंग किये शांति शांति क्यूँ चिल्ला रहे हो