भ्रष्ट राजनीती के अंधियारों में तुम ईमान की मशाल जलाये रखना
जिसके लिए कुर्बानियां दी है लोगों ने ;उस देश का हाल बचाए रखना ,
बेच रहें हैं तिरंगे की अस्मत , चंद लोग जिन कुर्सियों की ताक़त पर ,
तुम कल के सूरज बनकर ; उन कुर्सियों पर अपना हक जताए रखना
घुटने टेक रही जनता आज देश के हालात पर , हर ओर से उम्मीदें हारकर
उनका सहारा बनकर तुम , उनके आशायों की रोशनी जगाये रखना .
इस देश की पावन मिट्टी शहीदों के लहू से सींची गयी है ,
इस कुर्सियों के हर लालच से बचकर ;इस मिट्टी की कीमत बनाये रखना .
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