वह रास्ता मेरे गाँव को जाता है
बिखरे खेतों मैं पीली सरोसों और गन्नों की हरियाली
बैलों की घंटियों में गूंजती सुबह शाम की लाली
पायल झंखाती गोरियां और अमराई में बूढों का जमघट
बच्चों के पीछे भागती अम्मा -चाचियों की प्यार भरी गाली
रास्ते पर छपता हर चिह्न किसी के "आने" का संकेत दे जाता है
वह रास्ता मेरे गाँव को जाता है. वह रास्ता मेरे गाँव को जाता है
पर अब बिखरे खेतों में मेड़ें हैं , न वोह मिटटी की सोंधी गंध है
सूनी अमराई , खामोश हवाएं , घरों में न अब बच्चों की हुर्दंग है
न गोबरों की उपरी लगाती अम्मा है न रामायण बांचते चाचा ,
रिश्तों के चादर में अब जैसे हर किसी में आपस में कोई जंग है .
रास्ते पर हर पदचिह्न किसी के " जाने " का संकेत दे जाता है
वह रास्ता मेरे गाँव को जाता है. वह रास्ता मेरे गाँव को जाता है
कोने में बेसुरे रेडियो के बीच गुमटी में चाय पीता मैं रास्ते को देखता गया
धुल से भरे जीपों में किसी तरह लदे ठुंसे थके चेहरों को नापता गया
कोई बता रहा था मुझे , एक दिन एहां कुछ हादसा हो गया था
हर ओर शोर मचा था ,शहर आ गया शहर आ गया शहर आ गया
यह रास्ता तब से पड़ा वहीँ , लूटा हुआ सा उदास आंसूं बहाता है
वह रास्ता मेरे गाँव को जाता है. वह रास्ता मेरे गाँव को जाता है
बहुत खूब पूनम बहन ...
ReplyDeleteबहुत ही करीने से शहर गाँव का चित्रण ॥
मेरे भी ब्लॉग पर आयें
Very lovely post poonamji,,, keep continue ...
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