हम में ही राम है , हमीं में है रावण
उस रावण को मार सको तो आयो , सही विजय का पर्व मनाएं.
लक्ष्मण रेखा खींची है हमारे सामने भी ,
सोने के मृग के छलावे में फसने से बचो तो बचा लो अपने को ,
साधू वेश में रावण इस अवसर की ताक में बैठा है आज भी .
अपने वचन के अधिकारों से राम को करा सकते हो वनवास ,
हम कैकेयी को भरमाने के लिए मंथरा सक्रिय है आज भी.
जटायु , हनुमान , सुग्रीव और विभिसन मिल जायेंगे आपको
भरत और लक्ष्मण जैसे लोग साथ देने को तैयार है आज भी.
सीता अग्नि परीक्षा दे देगी आपके कहने पर आपकी मर्यादा के लिए ,
पर समाज के हर दायरे में खोज उस राम की जारी है आज भी .
तुम राम बन सको तो बन लो, वह कहीं तुममे ही छिपा हुआ है
अपने अन्दर के रावण को मार सको तो आयो..
.....................सही विजय का पर्व मनाएं
जब तीरगी में हो सहर की रौशनी महसूस.
ReplyDeleteये समझना अल्लाह ने कुछ करम किया है.
प्रांजल अभिव्यक्ति !!