पीपली लाइव ऑस्कर के लिए भारत की तरफ से चुनी गयी फिल्म ....येसा क्यों है की देश की गरीबी और भुखमरी पर ही बनी फ़िल्में बाहरी लोगों को पसंद आती है और पुरस्कार पाती है..... कब तक पश्चिम देशों के मनोरंजन का विषय बना रहेगा..? यह एक कला है.....या देश की गरीबी और भूखमरी का व्यापार ???. slumdog millionaire हो या फिर पीपली लाइव..
यदि 1957 से भारत द्वारा भेजी गए अब तक 3 फ़िल्में हैं जो सफल नोमिनेट हो पायीं है....1957 में मदर इंडिया , 1988 में मीरा नीर की सलाम बॉम्बे , 2001 में आमिर खान की लगान . इन फिल्मों को देखें तो यही लगता है..की देश की भुखमरी और गरीबी , कला के नाम पर प्लेट में सजा कर बेचने का एक जरिया है.....न तो इन पुरस्कारों से स्लम बच्चों की हालात बदले है और ना ही किसी नत्था को आत्महत्या से बचाया जा सका !
हो सकता मैं नमराताम्क बात बता रही हूँ पर .क्या बात है की 1960 में के .आसिफ की हिंदी सिने जगत की भव्य फिल्म The Great Mughal ( मुग़ल - ए -आज़म ) , 1965 में देवानंद अभिनीत "गाइड " , 2008 में बनी रंग दे बसंती और 2009 की एक बेहतरीन मराठी फिल्म " हरिश्चंद्राची फॅक्टरी " भारत की तरफ से भेजी तो गयी थी पर नोमिनेट नहीं हो पाई ...क्यूंकि यह पश्चिम के जूरीओं को पसंद नहीं आयी .
तो आज भी भारत की गरीबी और भूखमरी बिकती है....चाहे वह कला ने नाम पर ही क्यों न हो ?? तो इसे heritage का दर्ज़ा क्यों न दे दिया जाए
कब तक भूख से बिलखते बच्चे , टपकती छत के नीचे सिमटे परिवार , तेज धुप में रिक्शा खींचता इन्सान , दंगों में जान के भय से सहमे चेहरे और अस्पताल में बाहर तड़पते लोगों के इमजेस या फोटोग्राफ्स या फिर कोई शोर्ट फिल्म या फिर कोई न्यूज़ रील ...वेस्टर्न देशों के मनोरंजन का साधन बने रहेंगे....
सच कहूं तो ...पश्चिम जगत क्यों जाए....हम भी तो breakfast टेबल पर इन दृश्यों को देखते हुए ब्रेड पर मख्खन लगाते रहते हैं ......शायद इतनी करुणा ही रख लेना आजकल बहुत है....
बाढ़ में फंसे परिवार की बेघर होने की तस्वीरें , हड़ताल में फंसे दिहाड़ी मजदूर के परिवार की भूखी याचना की आँखें या फिर नक्सल के बंधक बने पुलिसवालों के परिवार की बिलखती न्यूज़ रील ... ....हमें अब विचलित नहीं करती
मेरे पास भी विकल्प है...इस पर डोकुमेंत्री बना कर वाही वाही लुटी जाए ..या फिर फेसबुक पर लिख कर संतोष कर लूं ..या फिर सचमुच इनकी जिंदगी में परिवर्तन ला सके ऐसा वास्तविक कार्य करूं....
फिलहाल देश क़ी गरीबी भी बिकती है.....हम ओस्कर मिलने पर इसे देश का गौरव भी मानेंगे ..!!!!
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