2001 प्लानिंग कमिसन की मानव विकास ईकाई के अनुसार उत्तरप्रदेश भारत में 13 स्थान पर था. 1991 से यह पोसिजन 14 स्थान था.
साक्षरता मैं राज्य 56.3% है जबकी केरला 90.9% , गोवा 82.०% , हिमाचल प्रदेश 76.5 % और तमिलनाडु 73.5 % हैं. 35 राज्यों और केंद्र शाशित प्रदेशों में उत्तरप्रदेश का स्थान 31 है.
1000 में 71 बच्चे 1 साल के पहले ही मौत के शिकार हो जाते हैं जो उत्तरप्रदेश की स्वस्थ्य सेवा का उदहारण है .
जनसँख्या वृद्धि मैं उत्तरप्रदेश का योगदान 2.33 ( 1991-2001) है जबकी देश का 1.94 % था. केरला और तमिल्नादी जबकी 1 % के नीचे आ चुके हैं.
कैपिटा इनकम उत्तरप्रदेश की बिहार , मध्यप्रदेश और उड़ीसा की तरह ही निचले स्थान पर है . एक ज़माने मैं यह देश के औसत के बराबर हुआ करती थी पर अब आधे से भी कम हो गयी है. जहाँ देश के प्रगति 6.3 % थी वहीँ उत्तरप्रदेश सिर्फ 4.9 % से बढ रहा है.
1999-2000 and 2005-06 के बीच देश की आय मैं उत्तरप्रदेश की भागीधारी 9.1 % से घाट कर 8.4 % हो गयी.
गरीबी का स्तर काफी ज्यादा है. उत्तरप्रदेश ने काफी अच्छा कम तो किया पर देश के अन्य राज्यों की तुलना मैं पिछड़ा रहा. 1973-1974में 57.4% से घाट कर 2004-2005 में 32.8 % हो तो गयी पर देश का औसत 54.9% से घाट कर 27.5 % हो गया था. 2004-2005 के आंकड़ों के अनुसार उत्तरप्रदेश में 60 लाख लोग गरीबे रेखा से नीचे है जो देश का 1/5 भाग है.
कृषि उत्पादन में भी पंजाब और हरियाणा के मुकाबले औसत उतपादन काफी कम है .
बिजली उपभोग में 2004-2005 में 202 KWH . ही था जबकि देश का औसत 411 KWH . था. 18 बड़े राज्यों में उत्तरप्रदेश 15 वें स्थान पर है. जहाँ देश में 75.93% गाँव बिजली से जुड़े हैं वहीँ उत्तर[प्रदेश में 69.43% है.
शिक्षा मामले में 2004 के एक सर्वे के अनुसार अन्य राज्यों केरला ( 2.96 स्कूल / गाँव , 416 छात्र /गाँव) , आँध्रप्रदेश ( 1.98स्कूल/गाँव , 186छात्र /गाँव) के मुकाबले उत्तरप्रदेश में 0.97 स्कूल/गाँव और 314 छात्र/गाँव थे.
सामाजिक कार्यों में खर्च 1990-1991और 2000-2001में औसत Rs. 3664 रुपये उत्तरप्रदेश का था देश के औसत Rs 6071 के मुकाबले .
कानून व्यवस्था के मामले में भी हालात इतने अच्छे नहीं हैं. हिंसक अपराधिक वारदातों में 2007 में देश का 12.4 % ( 26693 आउट ऑफ़ , 2,15,693) उत्तरप्रदेश से था. मर्डर केस में देश का 15.5 % ( 5000 out of 32318 ) उत्तरप्रदेश की भागीधारी थी. अपहरण के मामले में देश का 16.5 % केसेस उत्तरप्रदेश के थे. जहाँ देश में 125 पुलिस जवान है हर लाख जनसँख्या पर वहीँ उत्तरप्रदेश मैं या औसत 80 है और बिहार में सिर्फ 60.
यहाँ पर यह बात नहीं हो रही है की उत्तरप्रदेश कितना पिछड़ा है... उत्तरप्रदेश सांस्कृतिक , सामाजिक , बौधितिक और साहस के मामले मैं बहुत आगे है. प्राकृतिक सम्पदायों से भी धनी है... तो फिर यैसे क्यों है की राज्य विकास पथ पर आगे नहीं है...और इसकी जो छवि है..उस सचाई से परे नहीं हट सकते . राजनैतिक नेतृतव की जरूरत है जो एक सही और प्रबल नेतृत्व प्रदान कर सके ...यैसे नेताओं की जरूरत है जो स्वार्थ और लालच से उठ कर दलीय राजनीती छोड़ राज्य के विकास की बातें करें....
सारांश : अयोध्या विवाद के अलावा भी राज्य को काफी चुनोतियाँ औरसमस्याएं हैं. बहुत सारे विकास के मुद्दों पर भी काम करना है ..
कब तक राज्य के लोग बाहरी राज्यों के शहरों में पलायन करते रहेंगे और हमेशा बाहरी होने का लेबल लगाये मार सहते रहेंगे...
इस बारे में उत्तरप्रदेश के नेताओं का क्या कहना है ????
मेरा यह लेख किसी विशेष राजनैतिक दल या किसी विशेष नेता के लिए नहीं है.....यह उत्तर प्रदेश के समुचित और चहुंमुखी विकास की बात है. जांतपांत , भावनायों की बातों से निकल कर यथार्थ में आकर हमें देखना होगा ...क्या हमारा वर्तमान है ...और किस भविष्य की ओर बढ रहें हैं.... राज्य की प्रतिभायों और कुशल अधिकारीयों का सही उपयोग कर हमें इसे विकास पथ पर लाना है.
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