Dedicated to Fight for Corruption Movement :
पर याद रखना की इसी कमजोर भूख ने  सडकों पर आकर सरकारें हिलाई है .... 
पेट के गहन  अँधेरे में शांत भूख की आवाजों ने इतिहास के पन्ने बदले हैं .  
हमारे निवाले छीन छीन कर बनते आपके महलों पर नजर नहीं डाली हमने                    
 पर याद रखिये ,पानी पी कर ठंडी होती  भूखों से कई देशों के आसमान जले हैं
    
         
 Aaj ke  Yuvaon ko samarpit
 
   
Aaj ke  Yuvaon ko samarpit
 नहीं देखी गज़नी और चंगेज़ की लूट ,
तो अपने ही नेताओं द्वारा लूटता हिंदुस्तान देख .
न सूनी नादिर के हमले , तो दंगों और आतंक से तड़पता हिंदुस्तान देख .
याद नहीं विभाजन की काली रातें , वोह गुलामी के काले दिन ,
तो गरीबी , भूखमरी और बेकारी से कराहता हिंदुस्तान देख .
यदि चाहिए वह देश तो हर कतरे मैं खून का उबाल चाहिए ,
गंगा कावेरी के मौजों से उछलता चीखता इन्कलाब चाहिए ,
 हिमालय को पिघलाता , हिंद्सागर से उफानता
 हर गली -कुचे मैं क्रांति का एलान चाहिए
आज़ादी मिली तो भी क्या , आज़ादी की जंग अभी भी जारी है
बाहरी ताकतों से कहीं ज्यादा अन्दूरनी खतरा भारी है
मंजिल अभी दूर है , रास्ता बहुत ही मुस्किल ,
उठ , अर्जुन ! उठा गांडीव ..देर न कर ..
विश्राम की नहीं बारी है
बहुत हो गया ये तमाशा , अब मत फंसों
भ्रस्त और कुटील नेताओं के इन झूठे नारों में .
 प्रगती के वादे थोथें हैं …
 यह कुर्सियों की नौटंकी है ,
 उठ ..आग लगा दो गन्दी राजनीती की इन दीवारों में
गीता के श्लोक तेरे गीत हों , कुरान तेरी जुबान हो ,
 हर मुठ्ठियों में चेतना आये ,
 उठे क्रांति हर बस्ती , हर गलियारों में .
अख़बारों में सहमा सिमटा , आम इंसान की ,बंद होठों  की  जुबान
सत्ता के लुटेरो  के बीच  , इंसानियत  क्यों इतनी शर्मसार हो जाती है  !
 नील , टिगरिस  और यूफेरतेस  नदियाँ  क्यों  उफन जाती है ,
,जनता की भूख ही ही क्रांति है और यही इतिहास बनाती है !
 हर गलियों हर बस्तियों से चीखता चिल्लाता इंक़लाब चाहिए 
किसी  सूने आँचल से और कोई ,सूनी  मांग  चिल्ला कर सवाल पूछती है
किसी युवक का  भूखे पेट ; सडकों पर आकर यही प्रश्न  दोहराते है  ,
किसी वृद्ध की पथराई आँखों से ना जाने कितने प्रश्न उठते है ,
तब सत्ता के शिखर पर मदहोश हुए सर क्यों शर्म से झुख जातें   है .
गंगा , ब्रह्मपुत्र  और कावेरी की मौजों से उबलता  वही उफान चाहिए
हर गलियों हर बस्तियों से चीखता चिल्लाता इंक़लाब चाहिए .
बडती महंगाई , बडती बेकारी , लूट खसोट का खुला बाज़ार
सरे आम मुल्क को आज  सडकों पर इन सबका जवाब चाहिए !!
Poonam Shukla
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