Saturday, April 30, 2011

इस मिट्टी की कीमत बनाये रखना .

भ्रष्ट राजनीती के अंधियारों में तुम ईमान की  मशाल जलाये रखना 
जिसके लिए कुर्बानियां दी है लोगों ने ;उस देश का हाल बचाए रखना ,

बेच रहें हैं तिरंगे की अस्मत ,  चंद लोग जिन कुर्सियों की ताक़त पर , 
तुम कल के सूरज बनकर  ; उन कुर्सियों पर  अपना हक जताए रखना 

घुटने टेक रही  जनता आज देश के हालात पर , हर ओर से उम्मीदें  हारकर 
उनका सहारा बनकर तुम ,  उनके आशायों  की  रोशनी  जगाये रखना .

इस देश की पावन मिट्टी शहीदों के लहू से सींची  गयी है ,
इस कुर्सियों के हर लालच से बचकर ;इस मिट्टी की कीमत बनाये रखना .

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