Thursday, May 30, 2013

ज्योतिष और बदलता सामाजिक दृष्टिकोण

ज्योतिष और बदलता सामाजिक दृष्टिकोण 

एक सचाई जो शायद खुलकर स्वीकार न की जा सके , भौतिकवाद और उपभोक्तावाद के युग में भागती दौड़ती जिंदगियां , बिखरते और टूटते पारिवारिक संबंध , बढ़ती जाती मानसिक परेशानियाँ , तनावपूर्ण वातावरण , गिरते सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्य और प्रतियोगिता के दौर में आगे रहने की लालसा से उत्पन्न असुरक्षा की भावना , मनुष्य के जीवन को एक नए आयाम दे रही है . समाज आधुनिकता की ओढ़ में हर प्राचीन ज्ञान को अन्धविश्वास का आवरण देकर नकारने की कोशिश भले कर रहा हो , पर अब लोग धर्म और ज्योतिष के जरिये हल खोजने लगे हैं . प्राचीन मान्यतों पर आस्था पुनः आने लगी है .

ज्योतिष का व्यवसायीकरण

यह ब्राह्मणों और ज्योतिषियों के लिए अत्यंत संवेदनशील समय है . समाज में उठ रहे इस विश्वास ने ब्राहमण और ज्योतिष वर्ग को नैतिक और बौधिक जिम्मेदारियां दी है . इनकी यह आस्थाएं आज के युग में खरी उतरें और मानव समाज का सही और उचित मार्गदर्शन हो , यह एक धर्म कर्तव्य है . जरा सी भी भूल या गलत उपयोग इस विश्वास को कहीं ज्यादा खतरनाक तौर पर समाप्त कर सकता है . इस विश्वास के अंत के साथ जो हानी ब्राहमण और ज्योतिष समाज को होगी , उसकी छति आनेवाले कई दशकों तक नहीं हो पायेगी.

शायद हम इस नैतिक जिम्मेदारियों को नहीं समाज पा रहे हैं इसीलिए TV चैनलों और अख़बारों के जरिये समाज की इस भावना का दुरूपयोग करते नज़र आ रहे हैं. व्यवसायीकरण प्राचीन धरोहर को कहीं मजाक का विषय न बना दे . भविष्यवाणी के नाम पर अजीबोगरीब सनसनी , तुरंत समस्यायों के हल , ज्योतिष विज्ञानं के नाम कर बेचे जा रहे मंत्र-यंत्र और हर सुबह ज्योतिष विज्ञानं के नाम पर छिछलेदार बातों का परोसना , समाज को इस अद्भुत और पवित्र शास्त्र का क्या रूप दिखाया जा रहा है . क्या हम लोग संस्कृत और ब्राहमणवाद का स्तर स्वंय ही नीचे नहीं कर रहे हैं ? ज्योतिष विद्या को पूरी तरह से सम्भावनाओं का शास्त्र बना छोडा है.

ज्योतिष विद्या की सत्यता इस बात से प्रमाणित हो जाती है कि मनुष्य की लाख इच्छा करने के बावजूद उसके जीवन में अप्रत्यासित रुप से अविश्वसनीय घटनाऎं घटित होती हैं. ज्योतिष का प्रचलनसदियों से सिर्फ भारत में नहीं बल्कि विश्व के हर छेत्र और हर समुदाय में किसी रूप में अभिन्न तौर पर है .आज आवश्यकता है की ज्योतिष का सही रूप समाज में लाया जाए . ज्योतिष और इससे संबधित व्यवसाय को नियंत्रित किया जा सके ताकि इसका दुरूपयोग न हो. समाज को शिक्षित करना है की ज्योतिष अन्धविश्वास नहीं फैलाता बल्कि जागरूकता लाता है .

ज्योतिष समय का विज्ञानं है . तिथि , वार, नक्षत्र , योग और कर्म इन पांच चीजों का अध्ययन कर भविष्य में होने वाली घटनायों का आकलन किया जाता है . संभावनायों और भविष्यवाणी के बजाय ज्योतिष शास्त्र का सही उपयोग परामर्श , मानव जीवन को अनुशासित और जिंदगी के हर पल का एक समुचित मार्गदर्शन के साधन के तौर पर समाज में प्रस्तुत करने की अंत्यत आवश्यकता है . केवल भविष्यवाणियों में सिमित न रह कर , ज्योतिष का आधार लेकर मनुष्य की जीवन की कई समस्यायों का हल निकाला जा सकता है. आज के इस युग में लोगों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन की जो जरूरत है उसे ज्योतिष बखूबी पूरा कर सकता है. ज्योतिष भविष्य को बदलता नहीं बल्कि मनुष्य को सही और उचित सलाह देता है . प्रथम तो हमें यह समझ लेना चाहिए की ज्योतिष है क्या ? ज्योतिष प्रकाश का नाम है | प्रकाश अँधेरे को दूर करता है अँधेरा लाता नहीं | ज्योतिष कर्म को निश्चित करता है कर्म से भटकाता नहीं | ज्योतिष व्यर्थ के प्रयासों से बचते हुए सफलता के लिए मदद करता है व्यर्थ के कार्य नहीं करवाता है | वस्तुतः ज्योतिष हमें हमारे अन्तर्निहित शक्ति का ज्ञान करवाते हुए सही दिशा प्रदान करता है |

ज्योतिष पर सतत शोध और विकास की आवश्यकता :

आज के बदलते परिवेश में ज्योतिष में सतत अनुसान्धित विकास और शोध की जरूरत है . प्राचीन समय से गुरु- शिष्य की परम्परा में विद्या और ज्ञान गुरु शिष्य को मौखिक तौर पर देते रहे और कई सदियों तक यह विधा सुरंक्षित रही. पर क्या अभी हमारे पास पूर्ण ज्ञान है और क्या यह शास्त्र संपूर्ण विकसित है. शायद इसका जवाब अभी सकारात्मक नहीं है .सामाजिक और सांसारिक परिवर्तन , विज्ञानं की नयी जानकारियों और नित नयी प्रौद्योगिकी और तकनिकी द्वारा समृद्ध होती विधाएं , ज्योतिष के लिए एक चुनौती के तौर पर भी देखा जा सकता है. इस प्राचीन धरोहर के सरंक्षण के लिए गहन अध्ययन करते हुए , इस विद्या में नए वातावरण के अनुसार संशोधन और आविष्कार का होते रहना बहुत जरूरी है . इसका यह अर्थ नहीं है की सिद्धांत अब पुराने पड़ने लगे हैं लेकिन यह भी सही है इस विधा में शोध की अनन्तु संभावनाएं मौजूद है . ज्योतिष विद्वानों का यह कर्तव्य हो जाता है की शोधों के आधार पर तात्काेलिक आवश्येकताओं के अनुरूप करते हुए इसे समाज के उपयुक्त बनाये . इसका यह अर्थ नहीं है की सिद्धांत अब पुराने पड़ने लगे हैं लेकिन यह भी सही है इस विधा में शोध की अनन्तक संभावनाएं मौजूद है . ज्योतिष विद्वानों का यह कर्तव्य हो जाता है की शोधों के आधार पर तात्काेलिक आवश्यैकताओं के अनुरूप करते हुए इसे समाज के उपयुक्त बनाये .

मानसिक विकारों , असंतोष और असुरक्षित जीवनयापन से गुजरता समाज धीरे धीरे धर्म , अध्यात्म और ज्योतिष की तरफ जिज्ञासा लिए बढ़ रहा है . विज्ञानं और प्रौद्योगिकी की निर्भरता और विकास के बावजूद वह शांति की खोज में प्राचीन परम्परायों की तरफ आकर्षित हो रहा है. शायद प्राचीन विधायों को तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा अन्धविश्वास और कल्पनायों का ज्ञान बता देने से , हमारे ही बीच ढोंगियों द्वारा इसका दुरूपयोग व्यावासिकरण तौर पर कर विश्वास हनन करने से सार्वजनिक तौर समाज दकियानूसी करार दिए जाने के डर से इसे अपनाने का साहस नहीं कर पा रहा है .

यह असीम अवसर प्रदान करता है की ज्योतिष को आज के वातावरण के अनुरूप बनाते हुए सतत शोध , अनुसन्धान और विकास करते हुए समाज को इसके उपयोगिता के बारे में जागरूक करें .

ज्योतिष औेर राष्ट्रीयता

ज्योतिष का अटूट संबध है धर्म ,योग , आयुर्वेद , अध्यात्म और भारतीय संस्कृति से. यह सभी राष्ट्रीय धरोहर है और हिंदुत्व की पहचान है ., राष्ट्रीय-गौरव, राष्ट्रीय-मर्यादा, राष्ट्रीय-आत्मीयता, राष्ट्रीय-समृद्धि आदि के लिए इन सबकी वृद्धि और उत्कर्ष की बात क्या की जाए-उसका कोई न्यूनतम स्वरूप भी निर्धारित न हो सकना चिंतनीय बात है। इन सभी विधायों की दुकान चलाने वालों और इनके बल पर समाज का प्रतिनिधित्व करने वालों के लिए इसे चैतन्य, जाग्रत, सतेज बनाये रखने के लिए विशेष प्रयास सत्य और प्रमाणिक ढंग से करते रहना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है

व्यक्तिगत स्वार्थों की अपेक्षा सामुहिक हित चिंतन को प्राथमिकता देनी है .अनिष्ट की आशंकायों से भ्रमित और तात्कालिक लाभ की मृग-मरीचिका में भटकते समाज को संभावनो , और भविष्य परोसने के बजाय ज्योतिष का उपयोग चिंतन-विश्लेषण द्वारा समाज का मार्गदर्शन , उचित सलाह और आदर्श जीवन-पद्धति निर्माण के लिए होना चाहिए . पुरुषार्थ और कर्म की प्राथमिकता को बनाये रखते हुए मनुष्य का जीवन मार्गदर्शन ही ज्योतिस का आधार होना चाहिए. उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए साधनों की शुद्धता औेर उत्तमता को ध्यान में रखना जरूरी है.

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