Thursday, May 30, 2013

मैं वही शक्ति हूँ , मुझे जीने दो !!

मैं भारत की तस्वीर हूँ ,कल के भारत के भविष्य की जननी हूँ ,
आँचल में दूध और आँखों में पानी , अब यह मेरी जुबान नहीं हैं .
"जय माता दी " चिल्लाने वालों मेरी आँखों में झांक कर देखो ,
मैं वही शक्ति हूँ , मुझे जीने दो !!
Photo: मैं भारत की तस्वीर हूँ ,कल के भारत के भविष्य की जननी हूँ ,
आँचल में दूध और आँखों में पानी , अब यह मेरी जुबान नहीं हैं .
"जय माता दी " चिल्लाने वालों मेरी आँखों में झांक कर देखो ,
मैं वही शक्ति हूँ , मुझे जीने दो !!

पुरुष के अहंकार की गाली का हर शब्द अब मैं नहीं हूँ . 
मैं अग्निपरीक्षा की सीता नहीं हूँ और जुए में हारी द्रौपदी भी नहीं हूँ,
गर्भ में ही मरने वाली या फिर सड़कों पर रौंद दी जाने वाली वस्तु नहीं हूँ 

सड़कों के नारों के वीर नहीं , कैमरों में चमकते योध्दा नहीं , बल्कि हर कतरे लहू का उबाल चाहती हूँ 
गंगा ब्रह्मपुत्र की हर मौजों में इन्कलाब ,हिमालय को पिघलाता , हिंद्सागर से उफनता , एलान चाहती हूँ 
यह सूफी संतों की भूमि है , यह राम कृष्ण की धरती है , यह गाँधी भगत की जननी है, 
हर गली -चौराहों में ,हर बस्ती - गलियारे में , हर दिल , हर आँखों मैं नारी का सम्मान चाहती हूँ !

मैं समाज का स्वाभिमान बनना चाहती हूँ , हर परिवार की शान बनना चाहती हूँ
हाँ ! मैं नारी हूँ
पर समाज की कमजोरियां नहीं हूँ मैं , मुझे जीने दे सके वह भगवान् चाहती हूँ ,
हाँ मैं नारी हूँ ,
पर बन्धनों से अलग कर सबला बना सके मुझे ,ऐसा मैं समाज चाहती हूँ .
मुझे मेरी जीने की साँसे ना छीनो , मैं भी बढ़ने के लिए अपने हक का आसमान चाहती हूँ . 

Poonam Shukla
पुरुष के अहंकार की गाली का हर शब्द अब मैं नहीं हूँ .
मैं अग्निपरीक्षा की सीता नहीं हूँ और जुए में हारी द्रौपदी भी नहीं हूँ,
गर्भ में ही मरने वाली या फिर सड़कों पर रौंद दी जाने वाली वस्तु नहीं हूँ

सड़कों के नारों के वीर नहीं , कैमरों में चमकते योध्दा नहीं , बल्कि हर कतरे लहू का उबाल चाहती हूँ
गंगा ब्रह्मपुत्र की हर मौजों में इन्कलाब ,हिमालय को पिघलाता , हिंद्सागर से उफनता , एलान चाहती हूँ
यह सूफी संतों की भूमि है , यह राम कृष्ण की धरती है , यह गाँधी भगत की जननी है,
हर गली -चौराहों में ,हर बस्ती - गलियारे में , हर दिल , हर आँखों मैं नारी का सम्मान चाहती हूँ !

मैं समाज का स्वाभिमान बनना चाहती हूँ , हर परिवार की शान बनना चाहती हूँ
हाँ ! मैं नारी हूँ
पर समाज की कमजोरियां नहीं हूँ मैं , मुझे जीने दे सके वह भगवान् चाहती हूँ ,
हाँ मैं नारी हूँ ,
पर बन्धनों से अलग कर सबला बना सके मुझे ,ऐसा मैं समाज चाहती हूँ .
मुझे मेरी जीने की साँसे ना छीनो , मैं भी बढ़ने के लिए अपने हक का आसमान चाहती हूँ .

Poonam Shukla

No comments:

Post a Comment

आपके कमेन्ट और प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद