Thursday, May 30, 2013

shayari

जिंदगी तो हमारी छपती है अख़बारों में ए दोस्त .दूरियाँ की वजह किसी की बे-ऐतीमदी का भी है !
दिल तो हमारा साफ़ निकला वफ़ा की दुकान में ...खोट कहीं न कहीं तराजू की तवाज़ुन का भी है !!
यूँ हीं नहीं बिक जाती सरेआम दोस्तियाँ बाज़ार में .....क़सूर कुछ तो सिक्कों की चमक का भी है !!!
आज भी मेरे घर के आगे मुहब्बत की तख्ती है ....कमी किसी के आँखों की दमक का भी है !!!! 

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